🦚🦚🦚रात्री कहानी🦚🦚🦚
"भोजन और भजन"
सेठ ये सब देख रहा था, पर समझ नही पा रहा था, आखिर सेठानी से बोला, "रोटी हाथ में लेकर खडी हो, वो बाहर मांग रहा है, उसे कह रही हो आ रही हूँ तो उसे रोटी क्यो नही दे रही हो ?"
सेठानी बोली, "हाँ रोटी दूँगी, पर क्या है ना की मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा हैं, अगर उसको रोटी दूँगी तो वो आगे चला जायेगा। मुझे उसका भजन और सुनना है।"
ठीक इसी प्रकार यदि प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नही सुन रहे हैं तो समझना की उस सेठानी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है, इसलिये इंतजार करो और प्रार्थना करते रहो।
जीवन मे कैसा भी दुख और कष्ट आये पर भगवान का ध्यान करना मत छोड़िए। क्या कष्ट आता है तो आप भोजन करना छोड देते हैं ? क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड देते हैं ? नही ना ? फिर जरा सी तकलीफ आने पर आप भगवान का सिमरन करना क्यों छोड़ देते हो ?
कभी भी दो चीज मत छोड़िये, भजन और भोजन। भोजन छोड़ दोगे तो जिंदा नहीं रहोगे, भजन छोड़ दोगे तो कहीं के नही रहोगे। सही मायने में भजन और भोजन दोनों ही आवश्यक हैं।
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