समय की समीपता को कॉमन बात मत समझो।
अचानक और एवररेडी शब्द को अपने कर्मयोगी जीवन में हर समय स्मृति में रखो। अपने शांति के शक्ति का स्वयं प्रीत भी भिन्न भिन्न रूप से प्रयोग करो। जैसे साइयन्स अपना नया नया प्रयोग करते रहते है। जितना स्व के प्रीत प्रयोग करने की प्रैक्टिस करते रहेंगे। उतना ही औरों प्रीत शांति का अनुभव होता रहेगा। अब विशेष चारों और अपने शक्तियों की सकाश चारों और फैलाओ। जब आप के प्रकृति सूर्य की शक्ति सूर्या की किरने अपना कार्य कितने रूप से कर रहा है। पानी बरसाता भी पानी सुखाता भी है। दिन से रात रात से दिन करके दिखता है। तो क्या आप अपने शक्तियों की सकाश वायुमंडल में नहीं फैला सकते। आत्माओं को अपने शक्तियों के सकाश से दुःख और अशांति से नहि छुड़ा सकती। ज्ञान सूर्य स्वरूप को इमर्ज करो किरने फ़ेल्लाओ। जैसे स्थापना के आदि में बापदादा की तरफ़ से सुख शांति मिलने का घर बैठे अनुभव हुआ संकल्प मिला। ऐसे अब आप मास्टर ज्ञान सूर्य बच्चों द्वारा सुख शांति की लहर फैलाने की अनुभूति होनी चाहिए। लेकिन वो तब होगी उसका साधन है मन की एकाग्रता। याद की एकाग्रता। एकाग्रता की शक्ति को स्वयं में बढ़ाओ। जब चाहो जैसे चाहो जब तक चाहो तब तक मन को एकाग्र कर सको। अभी मास्टर ज्ञान सूर्य की स्वरूप को इमर्ज करो। और शक्तियों की किरने फैलाओ।ओम शान्ति
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