🤔सोच समझ कर राय दें..🤔
अगर गलती हुई तो आप भी भागीदार होंगे !
❣️आजकल सही-गलत की परिभाषा बदलती जा रही है। जो कुछ साल पहले तक गलत और पाप माना जाता था, जिसे लोग छिपकर करते थे, अब सबके सामने करते हैं और कहते हैं इसमें क्या गलत है। तो सही गलत की मर्यादाएं परखने की शक्ति लोगों के अंदर घटती जा रही है। जब सही-गलत परखने की शक्ति होगी तभी तो सही निर्णय ले पाएंगे। अगर आपके पास कोई ये पूछने के लिए आए कि आपको क्या लगता है हमें क्या करना चाहिए तो जल्दी में किसी को राय मत दे देना। इससे बहुत गहरा कार्मिक अकाउंट बन जाता है। जब कोई हमसे पूछता है कि आपको क्या लगता है मुझे क्या करना चाहिए तो हम गर्व का अनुभव करते हैं कि लोग निर्णय करने के लिए हमारी राय लेते हैं और हम फटाफट राय दे देते हैं। जब वही राय अपने घर में अपनानी होती है तो महीनों बीत जाते हैं लेकिन फैसला नहीं कर पाते हैं।🔸अगर हमने किसी को राय दी, उस राय पर उस आत्मा को अपने संस्कार और अपने कर्मों के अनुसार अमल करना होता है। अगर उस आत्मा ने फैसले पर अमल करने में कुछ गलती की तो उस गलती के भागीदार हम भी बन जाते हैं, क्योंकि राय हमने दी थी। निर्णय लेने की शक्ति हर आत्मा की अपनी होनी चाहिए। अब आपने किसी को राय दे दी कि रोज सुबह पांच किलोमीटर चलना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है, लेकिन राय देते हुए आपने यह नहीं देखा कि सामने वाला चल सकता है या नहीं। अगर सामने वाले ने हमारी राय मानकर चलना शुरू कर दिया और गिरकर उसको चोट लगी, तो उसके उस कर्म का भागीदार वह बना जिसने राय दी थी।
🔸आजकल लोग अपनी जिंदगी से जुड़े अहम फैसलों के बारे में दूसरों से पूछते हैं जैसे नौकरी करूं या नहींं, घर बदलू या नहींं, कई लोग तो शादी करें या नहीं यह भी पूछते हैं। इसमें ध्यान देना है कि वह अपने निर्णय की जिम्मेदारी स्वयं लेना नहीं चाहते हैं इसलिए वे आपसे पूछते हैं। कल जब भाग्य आएगा तो वे इसके लिए आपको ही जिम्मेदार ठहराएंगे और कहेंगे कि आपने कहा था ऐसा करने के लिए। जीवनभर वो हमें नकारात्मक ऊर्जा देते रहेंगे, जिससे आत्मा की शक्ति घटती जाएगी। अगर सामने वाला आपसे राय मांगे भी तो यही कहना है कि आपको जो सही लगता है वो आपको करना चाहिए। वे आपसे बार-बार पूछेंगे कि आप बताओ लेकिन आप यही जवाब देना कि आपको जो सही लगता है आप करो। इससे सामने वाले की निर्णय करने की शक्ति बढ़ जाएगी।
🔸जब परखने की शक्ति बढ़ेगी तो निर्णय लेने की शक्ति अपने आप ही बढ़ जाएगी। जब ये सब कुछ होगा तो एक बहुत ही सुंदर शक्ति हमारे अंदर आ जाएगी, जिसे कहते हैं सहयोग करने की शक्ति। हर व्यक्ति के लिए अच्छा सोचना, मीठा बोलना, दुआएं देना, आशीर्वाद देना, ये सबसे बड़ा सहयोग है। हर कर्म सही करना ये सबसे बड़ा सहयोग है। इस समय कलयुग रूपी सृष्टि को सतयुग बनाने के लिए सभी लोगों का सहयोग चाहिए।
❣️🔹ओम शान्ति 🔹❣️
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