06.04.2020 की मुरली से प्रश्नोत्तर प्रात:मुरली ओम् शान्ति


प्रश्न:-मीठे बच्चे - अपने ऊपर रहम करो, बाप जो मत देते हैं उस पर चलो तो क्या होगा?
उत्तर:-अपार खुशी रहेगी, माया के श्राप से बचे रहेंगे।

प्रश्नः-माया का श्राप क्यों लगता है? श्रापित आत्मा की गति क्या होगी?
उत्तर:-
1. बाप और पढ़ाई का (ज्ञान रत्नों का) निरादर करने से, अपनी मत पर चलने से माया का श्राप लग जाता है,
2. आसुरी चलन है, दैवीगुण धारण नहीं करते तो अपने पर बेरहमी करते हैं।
🔒बुद्धि को ताला लग जाता है।
💞 वह बाप की दिल पर चढ़ नहीं सकते।

ओम् शान्ति।

प्रश्न:-रूहानी बच्चों को यह तो अब निश्चय है, कौन सा?
उत्तर:-कि हमको आत्म-अभिमानी बनना है और बाप को याद करना है।

प्रश्न:-माया रूपी रावण जो है वह क्या करता है?
उत्तर:-श्रापित, दु:खी बना देता है।

प्रश्न:-श्राप अक्षर ही ..... का है, वर्सा अक्षर ....... का है?
उत्तर:-दुःख, सुख। जो बच्चे व़फादार, फरमानबरदार हैं, वह अच्छी रीति जानते हैं। जो नाफरमानबरदार है, वह बच्चा है नहीं। भल अपने को कुछ भी समझें परन्तु बाप की दिल पर चढ़ नहीं सकते, वर्सा पा नहीं सकते।

प्रश्न:-जो माया के कहने पर चलते और बाप को याद भी नहीं करते, किसको समझा नहीं सकते। गोया क्या करते हैं?
उत्तर:-अपने को आपेही श्रापित करते हैं।

प्रश्न:-बच्चे जानते हैं माया बड़ी जबरदस्त है, कैसे?
उत्तर:-अगर बेहद के बाप की भी नहीं मानते हैं तो गोया माया की मानते हैं। माया के वश हो जाते हैं। कहावत है ना - प्रभू की आज्ञा सिर माथे।

प्रश्न:-तो बाप कहते हैं बच्चे, पुरुषार्थ कर बाप को याद करो तो क्या होगा?
उत्तर:-माया की गोद से निकल प्रभू की गोद में आ जायेंगे।

प्रश्न:-बाप तो बुद्धिवानों का बुद्धिवान है। बाप की नहीं मानेंगे तो?
उत्तर:-तो बुद्धि को ताला लग जायेगा। ताला खोलने वाला एक ही बाप है। श्रीमत पर नहीं चलते तो उनका क्या हाल होगा। माया की मत पर कुछ भी पद पा नहीं सकेंगे। भल सुनते हैं परन्तु धारणा नहीं कर सकते हैं, न करा सकते तो उसका क्या हाल होगा!

प्रश्न:-बाप तो गरीब निवाज़ हैं। मनुष्य गरीबों को दान करते हैं तो बाप भी आकर क्या करते हैं?
उत्तर:-कितना बेहद का दान करते हैं। अगर श्रीमत पर नहीं चलते तो एकदम बुद्धि को ताला लग जाता है। फिर क्या प्राप्ति करेंगे! श्रीमत पर चलने वाले ही बाप के बच्चे ठहरे।

प्रश्न:-बाप तो रहमदिल है। समझते हैं बाहर जाते ही माया क्या कर देगी?
उत्तर:-एकदम खत्म कर देगी। कोई आपघात करते हैं तो भी अपनी सत्यानाश करते हैं। बाप तो समझाते रहते हैं - अपने पर रहम करो, श्रीमत पर चलो, अपनी मत पर नहीं चलो।

प्रश्न:-श्रीमत पर चलने से क्या होगा?
उत्तर:-खुशी का पारा चढ़ेगा। लक्ष्मी-नारायण की शक्ल देखो कैसी खुशनुम: है। तो पुरुषार्थ कर ऐसा ऊंच पद पाना चाहिए ना।

प्रश्न:-बाप अविनाशी ज्ञान रत्न देते हैं तो उनका ....... क्यों करना चाहिए!?
उत्तर:-निरादर क्यों करना चाहिए! रत्नों से झोली भरनी चाहिए। सुनते तो हैं परन्तु झोली नहीं भरते क्योंकि बाप को याद नहीं करते। आसुरी चलन चलते हैं।

प्रश्न:-बाप बार-बार क्या समझाते रहते हैं?
उत्तर:-अपने पर रहम करो, दैवीगुण धारण करो। वह है ही आसुरी सम्प्रदाय। उनको बाप आकर परिस्तानी बनाते हैं। परिस्तान स्वर्ग को कहा जाता है।

प्रश्न:-मनुष्य कितना धक्का खाते रहते हैं। संन्यासियों आदि के पास जाते हैं, क्या समझते हैं?
उत्तर:-मन को शान्ति मिलेगी। वास्तव में यह अक्षर ही रांग है, इनका कोई अर्थ नहीं। शान्ति तो आत्मा को चाहिए ना। आत्मा स्वयं शान्त स्वरूप है।

प्रश्न:-ऐसे भी नहीं कहते कि आत्मा को कैसे शान्ति मिले? कहते हैं मन को शान्ति कैसे मिले?
उत्तर:-अब मन क्या है, बुद्धि क्या है, आत्मा क्या है, कुछ भी जानते नहीं। जो कुछ कहते अथवा करते हैं वह सब है भक्ति मार्ग।

प्रश्न:-भक्ति मार्ग वाले सीढ़ी नीचे उतरते-उतरते क्या बनते जाते हैं?
उत्तर:-तमोप्रधान बनते जाते हैं। भल किसको बहुत धन, प्रापर्टी आदि है परन्तु हैं तो फिर भी रावण राज्य में ना।

प्रश्न:-तुम बच्चों को चित्रों पर समझाने की भी क्या करनी है?
उत्तर:-बहुत अच्छी प्रैक्टिस करनी है। बाप सब सेन्टर्स के बच्चों को समझाते रहते हैं, नम्बरवार तो हैं ना।

प्रश्न:-कई बच्चे राजाई पद पाने का पुरुषार्थ नहीं करते तो?
उत्तर:-तो प्रजा में क्या जाकर बनेंगे! सर्विस नहीं करते, अपने पर तरस नहीं आता है कि हम क्या बनेंगे फिर समझा जाता है ड्रामा में इनका पार्ट इतना है।

प्रश्न:-अपना कल्याण करने के लिए ज्ञान के साथ-साथ क्या हो?
उत्तर:-योग भी हो। योग में नहीं रहते तो कुछ भी कल्याण नहीं होता। योग बिगर पावन बन नहीं सकते। ज्ञान तो बहुत सहज है परन्तु अपना कल्याण भी करना है।

प्रश्न:-योग में न रहने से कुछ भी ....... होता नहीं?
उत्तर:-कल्याण। योग बिगर पावन कैसे बनेंगे? ज्ञान अलग चीज़ है, योग अलग चीज़ है। योग में बहुत कच्चे हैं। याद करने का अक्ल ही नहीं आता। तो याद बिगर विकर्म कैसे विनाश हों। फिर सजा बहुत खानी पड़ती है, बहुत पछताना पड़ता है।

प्रश्न:-वह स्थूल कमाई नहीं करते तो कोई सजा नहीं खाते हैं, इसमें तो पापों का बोझा सिर पर है, उसकी बहुत सजा खानी पड़े। बच्चे बनकर और बेअदब होते हैं तो?
उत्तर:-तो बहुत सजा मिल जाती है। बाप तो कहते हैं - अपने पर रहम करो, योग में रहो। नहीं तो मुफ्त अपना घात करते हैं।

प्रश्न:-जैसे कोई ऊपर से गिरता है, मरा नहीं तो क्या होगा?
उत्तर:-हॉस्पिटल में पड़ा रहेगा, चिल्लाता रहेगा। नाहेक अपने को धक्का दिया, मरा नहीं, बाकी क्या काम का रहा। यहाँ भी ऐसे है। चढ़ना है बहुत ऊंचा। श्रीमत पर नहीं चलते हैं तो गिर पड़ते हैं।

प्रश्न:-आगे चल क्या होगा?
उत्तर:-हर एक अपने पद को देख लेंगे कि हम क्या बनते हैं? जो सर्विसएबुल, आज्ञाकारी होंगे, वही ऊंच पद पायेंगे। नहीं तो दास-दासी आदि जाकर बनेंगे। फिर सजा भी बहुत कड़ी मिलेगी। उस समय दोनों जैसे धर्मराज का रूप बन जाते हैं। परन्तु बच्चे समझते नहीं हैं, भूलें करते रहते हैं। सजा तो यहाँ खानी पड़ेगी ना।

प्रश्न:-जितना जो सर्विस करेंगे, ........?
उत्तर:-शोभेंगे। नहीं तो कोई काम के नहीं रहेंगे।

प्रश्न:-बाप कहते हैं दूसरों का कल्याण नहीं कर सकते हो तो?
उत्तर:-तो अपना कल्याण तो करो। बांधेलियाँ भी अपना कल्याण करती रहती हैं।

प्रश्न:-बाप फिर भी बच्चों को कहते हैं खबरदार रहो। माया कैसे धोखा देती है?
उत्तर:-नाम-रूप में फँसने से माया बहुत धोखा देती है। कहते हैं बाबा फलानी को देखने से हमको खराब संकल्प चलते हैं। बाप समझाते हैं - कर्मेन्द्रियों से कभी भी खराब काम नहीं करना है।

प्रश्न:-कोई भी गंदा आदमी जिसकी चलन ठीक न हो तो?
उत्तर:-तो सेन्टर पर उनको आने नहीं देना है। स्कूल में कोई बदचलन चलते हैं तो बहुत मार खाते हैं। टीचर सबके आगे बतलाते हैं, इसने ऐसे बदचलन की है, इसलिए इनको स्कूल से निकाला जाता है। तुम्हारे सेन्टर्स पर भी ऐसी गन्दी दृष्टि वाले आते हैं, तो उनको भगा देना चाहिए।

प्रश्न:-बाप कहते हैं कभी कुदृष्टि नहीं रहनी चाहिए। सर्विस नही करते, बाप को याद नहीं करते तो?
उत्तर:-तो जरूर कुछ न कुछ गन्दगी है। जो अच्छी सर्विस करते हैं, उनका नाम भी बाला होता है।

प्रश्न:-थोड़ा भी संकल्प आये, कुदृष्टि जाये तो क्या समझना चाहिए?
उत्तर:-माया का वार होता है। एकदम छोड़ देना चाहिए। नहीं तो वृद्धि को पाए नुकसान कर देंगे। बाप को याद करेंगे तो बचते रहेंगे।

प्रश्न:-बाबा सब बच्चों को कैसे सावधान करते हैं?
उत्तर:-खबरदार रहो, कहाँ अपने कुल का नाम बदनाम नहीं करो। कोई गन्धर्वी विवाह कर इकट्ठे रहते हैं तो कितना नाम बाला करते हैं, कोई फिर गन्दे बन पड़ते हैं।

प्रश्न:-यहाँ तुम आये हो, किसलिए?
उत्तर:-अपनी सद्गति करने, न कि बुरी गति करने। बुरे ते बुरा है काम, फिर क्रोध।

प्रश्न:-आते हैं बाप से वर्सा लेने लिए परन्तु माया क्या करती है?
उत्तर:-वार कर श्राप दे देती है तो एकदम गिर पड़ते हैं। गोया अपने को श्राप दे देते हैं।

प्रश्न:-तो बाप समझाते हैं बड़ी सम्भाल रखनी है, कोई ऐसा आये तो?
उत्तर:-तो उनको एकदम रवाना कर देना चाहिए। दिखाते भी हैं ना - अमृत पीने आये फिर बाहर जाकर असुर बन गन्द किया। वह फिर यह ज्ञान सुना न सकें। ताला बंद हो जाता है।

प्रश्न:-बाप कहते हैं अपनी सर्विस पर ही तत्पर रहना चाहिए। बाप की याद में रहते-रहते क्या करना है?
उत्तर:-पिछाड़ी को चले जाना है घर। गीत भी है ना - रात के राही थक मत जाना....... आत्मा को घर जाना है। आत्मा ही राही है।

प्रश्न:-आत्मा को रोज़ क्या समझाया जाता है?
उत्तर:-अब तुम शान्तिधाम जाने के राही हो। तो अब बाप को, घर को और वर्से को याद करते रहो।

प्रश्न:-अपने को क्या देखना है?
उत्तर:-माया कहाँ धोखा तो नहीं देती है? मैं अपने बाप को याद करता हूँ?

प्रश्न:-बहुत ऊंच पुरुषार्थ क्या है?
उत्तर:-ऊंच ते ऊंच बाप की तरफ ही दृष्टि रहे - यह है बहुत ऊंच पुरुषार्थ।

प्रश्न:-बाप कहते हैं - बच्चे, कुदृष्टि छोड़ दो। देह-अभिमान माना?
उत्तर:-कुदृष्टि, देही-अभिमानी माना शुद्ध दृष्टि। तो बच्चों की दृष्टि बाप की तरफ रहनी चाहिए। वर्सा बहुत ऊंच है - विश्व की बादशाही, कम बात है!

प्रश्न:-स्वप्न में भी किसको क्या नहीं होगा?
उत्तर:-कि पढ़ाई से, योग से विश्व की बादशाही मिल सकती है।

प्रश्न:-पढ़कर ऊंच पद पायेंगे तो क्या होगा?
उत्तर:-बाप भी खुश होगा, टीचर भी खुश होगा, सतगुरू भी खुश होगा। याद करते रहेंगे तो बाप भी पुचकार देते रहेंगे।

प्रश्न:-बाप कहते हैं - बच्चे, यह खामियां निकाल दो। नहीं तो क्या होगा?
उत्तर:-मुफ्त नाम बदनाम करेंगे।

प्रश्न:-बाप क्या बनाते हैं?
उत्तर:-बाप तो विश्व का मालिक बनाते, सौभाग्य खोलते हैं। भारतवासी ही 100 प्रतिशत सौभाग्यशाली थे सो फिर 100 प्रतिशत दुर्भाग्यशाली बने हैं फिर तुमको सौभाग्यशाली बनाने के लिए पढ़ाया जाता है।

प्रश्न:-बाबा ने समझाया है धर्म के जो बड़े-बड़े हैं, वह भी तुम्हारे पास आयेंगे। क्या करेंगे?
उत्तर:-योग सीखकर जायेंगे। म्युज़ियम में जो टूरिस्ट आते हैं, उनको भी तुम समझा सकते हो - अब स्वर्ग के गेट्स खुलने हैं। झाड़ पर समझाओ, देखो तुम फलाने समय पर आते हो।भारतवासियों का पार्ट फलाने समय पर है।

प्रश्न:-तुम यह नॉलेज सुनते हो फिर अपने देश में जाकर क्या बताओ?
उत्तर:-कि बाप को याद करो तो तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे। योग के लिए तो वह चाहना रखते हैं। हठयोगी, संन्यासी तो उन्हों को योग सिखला न सकें। तुम्हारी मिशन भी बाहर जायेगी। समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए। धर्म के जो बड़े-बड़े हैं उन्हों को आना तो है।

प्रश्न:-तुमसे कोई एक भी अच्छी रीति यह नॉलेज ले जाये तो?
उत्तर:-तो एक से कितने ढेर समझ जायेंगे। एक की बुद्धि में आ गया तो फिर अखबारों आदि में भी डालेंगे। यह भी ड्रामा में नूँध है। नहीं तो बाप को याद करना कैसे सीखे। बाप का परिचय तो सबको मिलना है। कोई न कोई निकलेंगे।

प्रश्न:-म्युज़ियम में बहुत पुरानी चीजें देखने जाते हैं। यहाँ फिर क्या करेंगे?
उत्तर:-तुम्हारी पुरानी नॉलेज सुनेंगे। ढेर आयेंगे। उनसे कोई अच्छी रीति समझेंगे। यहाँ से ही दृष्टि मिलेगी या तो मिशन बाहर जायेगी।

प्रश्न:-तुम कहेंगे बाप को याद करो तो अपने धर्म में ऊंच पद पायेंगे। पुनर्जन्म लेते-लेते क्या हुआ?
उत्तर:-सब नीचे आ गये हैं। नीचे उतरना माना तमोप्रधान बनना। पोप आदि ऐसे कह न सके कि बाप को याद करो। बाप को जानते ही नहीं।

प्रश्न:-तुम्हारे पास बहुत अच्छी .......है?
उत्तर:-नॉलेज है। चित्र भी सुन्दर बनते रहते हैं। सुन्दर चीज़ होगी तो म्युजियम और ही सुन्दर होगा। बहुत आयेंगे देखने के लिए। जितने बड़े चित्र होंगे उतना अच्छी रीति समझा सकेंगे। शौक रहना चाहिए हम ऐसे समझायें।

प्रश्न:-सदा तुम्हारी बुद्धि में रहे कि हम ब्राह्मण बने हैं तो जितनी सर्विस करेंगे उतना क्या होगा?
उत्तर:-बहुत मान होगा। यहाँ भी मान तो वहाँ भी मान होगा। तुम पूज्य बनेंगे। यह ईश्वरीय नॉलेज धारण करनी है।

प्रश्न:-बाप तो कहते हैं सर्विस पर........ रहो?
उत्तर:-दौड़ते रहो। बाप कहाँ भी सर्विस पर भेजे, इसमें कल्याण है। सारा दिन बुद्धि में सर्विस के ख्याल चलने चाहिए। फॉरेनर्स को भी बाप का परिचय देना है।

प्रश्न:-मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो, कोई भी ........ को गुरू नहीं बनाओ?
उत्तर:-देहधारी को। सबका सद्गति दाता वह एक बाप है।

प्रश्न:-अभी ...... मौत सामने खड़ा है?
उत्तर:-होलसेल। होलसेल और रीटेल व्यापार होता है ना। बाप है होलसेल, वर्सा भी होलसेल देते हैं। 21 जन्म के लिए विश्व की राजाई लो।

प्रश्न:-मुख्य चित्र हैं ही कौन से?
उत्तर:-त्रिमूर्ति, गोला, झाड़, सीढ़ी, विराट रूप का चित्र और गीता का भगवान कौन?..... यह चित्र तो फर्स्ट क्लास है, इसमें बाप की महिमा पूरी है। बाप ने ही कृष्ण को ऐसा बनाया है, यह वर्सा गॉड फादर ने दिया।

प्रश्न:-कलियुग में इतने ढेर मनुष्य हैं, सतयुग में थोड़े हैं। यह फेरघेर (अदली-बदली) किसने की?
उत्तर:-ज़रा भी कोई नहीं जानते हैं। तो टूरिस्ट बहुत करके बड़े-बड़े शहरों में जाते हैं। वह भी आकर बाप का परिचय पायेंगे। प्वाइंट्स तो सर्विस की बहुत मिलती रहती हैं। विलायत में भी जाना है।

प्रश्न:-एक तरफ तुम बाप का परिचय देते रहेंगे, दूसरे तरफ क्या होगा?
उत्तर:-मारामारी चलती रहेगी। सतयुग में थोड़े मनुष्य होंगे तो जरूर बाकी का विनाश होगा ना।

प्रश्न:-वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होती है। जो हो गया वो फिर रिपीट होगा। परन्तु क्या चाहिए?
उत्तर:-किसको समझाने का भी अक्ल चाहिए। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) सदा एक बाप की तरफ ही दृष्टि रखनी है। देही-अभिमानी बनने का पुरुषार्थ कर माया के धोखे से बचना है। कभी कुदृष्टि रख अपने कुल का नाम बदनाम नहीं करना है।

2) सर्विस के लिए भाग दौड़ करते रहना है। सर्विसएबुल और आज्ञाकारी बनना है। अपना और दूसरों का कल्याण करना है। कोई भी बदचलन नहीं चलनी है।

वरदान:-एकता और सन्तुष्टता के सर्टीफिकेट द्वारा सेवाओं में सदा सफलतामूर्त भव

👉 सेवाओं में सफलतामूर्त बनने के लिए दो बातें ध्यान में रखनी है

🔯 एक - संस्कारों को मिलाने की युनिटी और

🔯 दूसरा स्वयं भी सदा सन्तुष्ट रहो तथा दूसरों को भी सन्तुष्ट करो।

💕 सदा एक दो में स्नेह की भावना से, श्रेष्ठता की भावना से सम्पर्क में आओ तो यह दोनों सर्टीफिकेट मिल जायेंगे।

👉 फिर आपकी प्रैक्टिकल जीवन बाप के सूरत का दर्पण बन जायेगी
☝️और उस दर्पण में बाप जो है जैसा है वैसा दिखाई देगा।

स्लोगन:-आत्म स्थिति में स्थित होकर अनेक आत्माओं को जीयदान दो तो दुआयें मिलेंगी।

               ओम शान्ति

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